अनुसंधान योजना

भारत सरकार केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) के माध्यम से भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दे रही है, जो "सीपीआरआई के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही विद्युत मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास योजनाओं" के माध्यम से विद्युत क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास के लिए अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देता है जिसमें निम्नलिखित तीन योजनाएं शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत अनुसंधान एवं विकास
  • विद्युत पर अनुसंधान योजना (आरएसओपी)
  • आतंरिक अनु व विकास (आईएचआरडी)

उपर्युक्त अनुसंधान योजनाओं के तहत सीपीआरआई द्वारा अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजनाएं

सुधार, वैश्वीकरण तथा सरकार की उदारतावादी नीति के कारण भारतीय विद्युत क्षेत्र प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहा है। पहले से ही हमारे देश के विद्युत प्रणाली नियोजकों ने ऊर्जा क्षेत्र को अत्यधिक महत्व दिया है तथा अधिष्ठापित जनन क्षमता एवं पारेषण नेटवर्कों में अधिक गुना वृद्धि हुई है।

प्रणाली विस्तार में वृद्धि के कारण स्थिरता और सुरक्षा समस्याएँ चुनौतीपूर्ण बन गयी हैं। अब देश के भीतर ही विशेषज्ञता निर्माण के अर्थोपायों पर ध्यान केन्द्रित करना बहुत महत्वपूर्ण बन गया है, ताकि प्रणाली में विद्यमान समस्याओं एवं भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लिए समाधान खोजा जा सके। ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के अंतरालों को न भरना अनुसंधान की तुरन्त आवश्यकता है, वह भी इसलिए क्योंकि नयी सहस्राब्दि में प्रौद्योगिकी में अधिक गंभीर व तेज गति में आज परिवर्तन हो रहा है।

अनुसंधान एवं विकास के महत्व को समझकर विद्युत मंत्रालय ने भारतीय विद्युत क्षेत्र में अनु एवं वि के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना बनाने हेतु अनु एवं वि पर एक स्थायी समिति का गठन किया है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना का सूत्रीकरण करते समय, विद्युत क्षेत्र की वृद्धि की संभीरता से समीक्षा, देश में विद्यमान अनु एवं वि अवसंरचना का मूल्यांकन तथा विद्युत क्षेत्र के लिए अत्यंत आवश्यक अनु एवं वि की जरूरत को पहचानना आवश्यक है। सभी प्रमुख खिलाडी जैसे सीईए, सीपीआरआई, एनटीपीसी, पॉवरग्रिड, एनएचपीसी, निपको, बीबीएमबी, डीवीसी, एनपीटीआई, टीएचडीसी, एसजेवीएनएल, बीएचईएल तथा आईआईटी ने इस कार्य में भाग लिया तथा अनु एवं वि योजना रिपोर्ट तैयार की है।

विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान आवश्यकताओं को पहचानने तथा मार्ग नक्शे बनाने के लिए "अनुसंधान एवं विकास संबंधी स्थायी समिति" का गठन किया। इस समिति की अध्यक्षता सीईए के अध्यक्ष द्वारा की गई व सीपीआरआई इसका सदस्य संयोजक था। समिति के सदस्य के तौर पर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं।

गहन विचार-विमर्श तथा मंथन सत्रों के बाद समिति ने "विद्युत क्षेत्र में अनु एवं वि के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना” शीर्षक रिपोर्ट निकाली। समिति ने परिप्रेक्ष्य योजना रिपोर्ट तैयार करते समय निम्निलिखित पहलुओं पर विचार किया :-

  1. विद्युत क्षेत्र की मूल एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान तथा विकास आवश्यकताएँ ।
  2. राष्ट्रीय स्तर तथा संगठनात्मक स्तर पर अनुसंधान एवं विकास योजनाएँ ।
  3. ग्राहको के हितार्थ तथा विद्युत क्षेत्र की प्रचानलीय दक्षता के लिए अनुसंधान के परिणाम को दिशा देना ।

विद्युत क्षेत्र के विभिन्न उप खण्डों (जनन, पारेषण एवं वितरण) में प्रौद्योगिकी अंतराल को भरने के लिए अपेक्षित अनु एवं वि की आवश्यकताओं को पहचानकर प्राथमिकता दी जाती है। अनु एवं वि आवश्यकताएँ या तो विशिष्ट संयंत्र घटक के अभिकल्प को सुधारने तथा / अथवा लागत सक्षम समग्र प्रक्रिया विकसित करने पर केद्रित हैं। अनु एवं वि की आवश्यकताओं में आई टी, इलेक्ट्रानिक तथा संचार की उन्नतियों की सहायता लेते हुए नियंत्रण एवं मापयंत्रण प्रणाली, डाटा अर्जन प्रणाली तथा प्रणाली निष्पादन प्राचलों के मानीटरन को सुधारना शामिल है। अनु एवं वि के लिए प्रमुख महत्व वाले क्षेत्र दिए गए लिंक में उपलब्ध हैं: यहां क्लिक करें

विद्युत पर अनुसंधान योजना

इस योजना का उद्देश्य इस योजना के तहत अनुसंधान परियोजनाओं के बेहतर प्रबंधन द्वारा अनुसंधान लाभों के सर्वोत्तम उपयोग पर जोर देने के साथ आवंटित निधि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है। विद्युत शक्ति के क्षेत्र में विभिन्न अनुसंधान तथा विकासात्मक गतिविधियों को शुरू करने तथा समन्वय करने के लिए यह एक शीर्ष निकाय के रूप में सीपीआरआई के अधिदेश के अनुरूप है जो विभिन्न राज्य बिजली बोर्डों, वितरण कंपनियों के साथ नेटवर्किंग और देश में विद्युत प्रणालियों और / या विद्युत उपकरणों से जुड़े अनुसंधान में लगे शैक्षणिक संस्थानों के साथ संपर्क बनाए रखते हुए प्राप्त होगा । परियोजनाओं के विषयों को निम्नानुसार संक्षेपित किया जा सकता है: 1) विकेंद्रीकृत उत्पादन 2)विद्युत प्रणाली के लिए पावर इलेक्ट्रॉनिक्स अनुप्रयोग 3) बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण प्रणालियों में सुधार 4) उन्नत शेष आयु मूल्यांकन (आरएलए) पद्धतियां 5) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विद्युत क्षेत्र के लिए आवेदन 6) एचटीएस आधारित विद्युत उपकरण के लिए इन्सुलेशन इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी।

अनुसंधान परियोजनाएं जो विद्युत क्षेत्र विकास के क्षेत्र से संबंधित हैं उदाहरणार्थ जनन, पारेषण, वितरण, नवीकरणीय आदि को उपयिगिताओं/शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लिया जा सकता है, जिन्हें आरएसओपी योजना के तहत वित्तपोषित किया जा सकता है ताकि वे मुख्य रूप से स्थानीय विशिष्ट परिचालन मुद्दों को संबोधित कर सकें। कुछ मामलों में, उपयोगिताएँ अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों को संबद्ध कर सकती हैं और परियोजनाओं को एक सहयोगी तरीके से शुरू कर सकती हैं।

जहां तक संभव हो, प्रौद्योगिकी के सुचारू अंतरण के लिए प्रासंगिक उद्योगों / उपयोगिताओं या अंतिम लाभार्थी की भागीदारी के साथ परियोजनाओं को तैयार किया जाना है।

परियोजना का प्रस्ताव करने वाले परियोजना कार्यान्वयन संगठन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परियोजना प्रस्ताव में उल्लिखित प्रमुख अन्वेषकों की सेवाएं परियोजना की पूरी अवधि के लिए उपलब्ध करायी जाती हैं।

संपूर्ण साहित्य सर्वेक्षण के बाद परियोजना प्रस्तावों को तैयार किया जाना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसी तरह का काम पहले से कहीं और नहीं किया गया है।

अनुसंधान के लिए पहचाने गए कुछ प्रमुख क्षेत्रों के तहत यहां क्लिक करें

आंतरिक अनुसंधान एवं विकास

आईएचआरडी योजना विशेष रूप से सीपीआरआई के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए है ताकि वे विद्युत क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान परियोजनाएं शुरू कर सकें और भारतीय विद्युत क्षेत्र की उपयोगिताओं और निर्माताओं की मदद कर सकें। इस योजना के तहत 1) अनुसंधान और परीक्षण सुविधाओं का संवर्धन 2) परीक्षण / नैदानिक विधियों / अनुसंधान अध्ययनों में सुधार / नई तकनीकें 3) उत्पाद / प्रक्रिया में सुधार 4) उत्पादों में सुधार और 5) राष्ट्रीय मानकों का विकास के लिए अनुसंधान परियोजनाएं संपन्न की जाती हैं: ।

शीर्षक संबंधित दस्तावेज
  • फॉर्मेट सं 1: आरएसओपी नई परियोजना प्रस्ताव
  • फॉर्मेट सं 2: उपकरण खरीद के लिए आरएसओपी
  • फॉर्मेट सं 3: आरएसओपी तिमाही प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर)
  • फॉर्मेट सं 4: आरएसओपी व्यय रिपोर्ट
  • फॉर्मेट सं 5: समापन रिपोर्ट का आरएसओपी सार
  • फॉर्मेट सं 6: आरएसओपी उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी)
  • फॉर्मेट सं 7: आरएसओपी अंतिम रिपोर्ट
  • फॉर्मेट सं 8: आरएसओपी नमूना कॉपी अव्ययित अनुदान
  • फॉर्मेट सं 9: आरएसओपी प्रतिपुष्टि प्रपत्र प्रस्तुति
  • फॉर्मेट सं 10: आरएसओपी परियोजना मूल्यांकन
  • फॉर्मेट सं 11: आरएसओपी समझौता ज्ञापन (एमओयू)
  • फॉर्मेट सं 12: आरएसओपी समीक्षक टिप्पणी
  • फॉर्मेट सं 13: आरएसओपी विहंगम दृष्टि (बीईवी) रिपोर्ट

अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रस्ताव के लिए आमंत्रण

क्र.सं. शीर्षक संबंधित दस्तावेज़
1
  • • आरएसओपी और एनपीपी योजनाओं के लिए प्रस्ताव आमंत्रित
  • • "सौर ऊर्जा संयंत्रों और पवन ऊर्जा संयंत्रों के आयु के अंतिम घटकों से उत्पन्न कचरे के पुनरावर्तन" पर प्रस्तावों के लिए निमंत्रण ।
  • • "सीपीआरआई के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही एमओपी की अनुसंधान एवं विकास योजनाएं" के तहत अनुसंधान प्रस्ताव के लिए निमंत्रण
 
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प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर सामान्य सूचना

निधीयन:

आई एच आर डी और आरएसओपी योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं को पूरी तरह से विद्युत मंत्रालय द्वारा निधिबद्ध है । यह प्रत्याशित है कि एनपीपी योजना के तहत परियोजनाओं को विद्युत मंत्रालय द्वारा 50% और एक सहयोगी उद्योग द्वारा 50% निधिबद्ध किया जाएगा।

परियोजना के वित्तीय परिव्यय का अंश

परियोजना प्रस्ताव जैसे उपस्कर, मापयंत्र, यात्रा, परामर्श, अस्थायी अनुसंधान स्टाफ का भाडा प्रभार, बंधा खर्च तथा विविध एवं प्रासंगिक, से संबंधित व्यय परियोजना की लागत में शामिल किया जा सकता है। सामान्यतः 10% के दर पर ऊपरी प्रभार परियोजना की लागत में शामिल कर दिया जाता है। इस योजना के तहत केवल अनुकार अध्ययन करने और महंगे सॉफ्टवेयर पैकेज खरीदने के उद्देश्य से परियोजनाओं को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है।

स्थायी अनुसंधान स्टाफ का वेतन अंश शामिल नहीं किया जाता है । तथापि परियोजना की अवधि के लिए अस्थायी अनुसंधान स्टाफ के भाड़े की ओर लागत स्वीकार्य है ।

विशेषज्ञ समीक्षा

सीपीआरआई द्वारा प्राप्त प्रस्तावों को विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के बाहरी कार्यक्षेत्र विशेषज्ञों को भेजा जाता है और महानिदेशक, सीपीआरआई द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति द्वारा तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। वर्तमान में एक विशिष्ट कार्यक्षेत्र से संबंधित चार तकनीकी समितियां हैं 1) पारेषण (ट्रांसमिशन) 2) जनन-ताप ( जनरेशन-थर्मल) 3)जनन-जल (जेनरेशन-हाइड्रो) 4) ग्रिड, वितरण और ऊर्जा संरक्षण।

तकनीकी – आर्थिक मूल्यांकन

विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा किए गए परियोजना प्रस्तावों का मूल्यांकन तकनीकी समिति द्वारा किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता आईआईटी के प्रोफेसरों द्वारा की जाएगी और इसमें उपयोगिताओं और उद्योग से सहभागिता है। मुख्य जांचकर्ताओं को आम तौर पर तकनीकी समिति की बैठकों में अपनी परियोजना का समर्थन करने की आवश्यकता होगी। अनुमोदन के लिए सक्षम प्राधिकारी को प्रस्ताव की सिफारिश करने से पहले समिति तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन करते समय विशेष रूप से परियोजना के प्रदेय पहलुओं और बड़े पैमाने पर उपयोगिता/विद्युत क्षेत्र पर उनके प्रभाव की जांच करेगी।

परियोजना अनुमोदन तथा प्रारंभ:

तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन के बाद तकनीकी समिति द्वारा संस्तुत प्रस्तावों को अनुमोदन के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास रखा जाता है। 50 लाख तक के परिव्यय वाले प्रस्तावों के लिए सीपीआरआई के महानिदेशक अनुमोदन प्राधिकारी हैं। अन्य परियोजनाओं का पुनरीक्षण अध्यक्ष, सीईए की अध्यक्षता में अनुसंधान एवं विकास (एससीआरडी) पर स्थायी समिति द्वारा की जाती है। एससीआरडी प्रस्ताव की योग्यता के गहन मूल्यांकन के बाद परियोजना के लिए अनुमोदन प्रदान करता है।

एक बार मंजूरी मिलने के बाद, विद्युत मंत्रालय से औपचारिक मंजूरी और अनुदान जारी करने की मांग की जाएगी। सीपीआरआई और परियोजना कार्यान्वयन संगठन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद अनुदान की पहली किस्त जारी करने की स्वीकृति की सूचना दी जाएगी।

प्रगति समीक्षा एवं तिमाही प्रगति रिपोर्ट (क्यू पी आर ) :

यह प्रमुख अन्वेषक की जिम्मेदारी होगी कि वह तिमाही की समाप्ति पर एक माह के भीतर प्रत्येक तिमाही के लिए परियोजना की प्रगति (तकनीकी तथा वित्तीय) पेश करें । तिमाही रिपोर्ट पेश करने के लिए पहली तिमाही हर वित्तीय वर्ष के अप्रैल में शुरू होती है । तकनीकी एवं वित्तीय प्रगति पेश करने के लिए क्रमशः निर्धारित फार्मेट में ति प्र रि पेश करना हेगा।

निधि उपयोगिता प्रमाणपत्र (यू सी) :

प्रधान अन्वेषक निधि की समाप्ति के तुरंत बाद जारी की गई राशि के लिए निधि उपयोग प्रमाणपत्र पेश करेंगे । परियोजना के लिए अतिरिक्त धन प्राप्त करने के लिए संतोषजनक तकनीकी प्रगति तथा प्रगति रिपोर्ट तथा उपयोगिता प्रमाणपत्र का प्रस्तुतिकरण परियोजना के लिए आगे की किश्त जारी करने के लिए पूर्व अपेक्षित चीजे है ।

परीयोजना मानीटरन :

अनु एव वि प्रबंधन विभाग ति प्र रि और यूसी के माध्यम से प्रस्तुत आंकड़ों का विश्लेषण करके परियोजनाओं का मानीटरन करता है। परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बेंगलूरु में तकनीकी समिति या कुछ मामलों में संबंधित जांच संगठनों द्वारा की जाती है।

परियोजना समाप्ति एवं तकनीकी रिपोर्ट :

अन्वेषक अभिकरण एक बार परियोजना समाप्त होने पर तकनीकी समिति के सम्मुख प्रस्तुति पेश करेगा । इससे पहले, सीपीआरआई परियोजना के अंतिम परिणामों की संवीक्षा तथा विश्लेषण करेगा तथा तकनीकी समिति को एक रिपोर्ट पेश करेगा ।

तकनीकी समिति अन्ततः घोषित करती है कि वास्तविक परियोजना प्रस्ताव में यथा निर्धारित निष्कर्षों के साथ परियोजना संपूर्ण हुई ।

प्रचार:

अनुसंधान योजना के भाग के रूप में विकसित प्रौद्योगिकियों/उत्पादों की जानकारी वर्तमान में सीपीआरआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। परियोजना जांचकर्ताओं को ज्ञान के प्रसार के लिए कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

प्रस्ताव कौन प्रस्तुत कर सकता है?

  1. विद्युत उपयोगिताएँ
  2. शैक्षणिक संस्थान
  3. अनुसंधान एवं विकास संस्थान
  4. निर्माता

इस योजना के तहत सहयोगात्मक प्रस्तावों को भी प्रोत्साहित किया जाता है।

कब और कैसे प्रस्ताव पेश किया जाए?

  1. अनुसंधान प्रस्ताव वर्ष के दौरान किसी भी समय सीपीआरआई को भेजे जा सकते हैं।
  2. प्रस्ताव प्रस्तुत करने के प्रारूप और योजना से संबंधित अन्य विवरण संबंधित योजनाओं के तहत सीपीआरआई वेब साइट पर उपलब्ध हैं या प्रधान, अनुसंधान एवं विकास प्रबंधन प्रभाग को लिखकर प्राप्त किया जा सकता है।
  3. प्रारूप में तैयार प्रस्ताव संबंधित संस्थान के प्रधान के माध्यम से प्रधान, अनुसंधान एवं विकास प्रबंधन प्रभाग सीपीआरआई को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  4. प्रधान अन्वेषक को सामान्य रूप से तकनीकी समिति के प्रस्ताव पर प्रस्तुतिकरण करना आवश्यकता है।
  5. तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन के लिए तकनीकी समिति की वर्ष में केवल 2-3 बार ही बैठक होती है और अनुमोदन के लिए सक्षम प्राधिकारी को परियोजनाओं की सिफारिश की जाती है।
  6. तकनीकी समिति की सिफारिशों को प्रधान अन्वेषक को ई-मेल के माध्यम से सूचित किया जाएगा।

छात्रों के लिए शोध के अवसर

वीटीयू अनुसंधान केंद्र

भारतीय विद्युत क्षेत्र की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण आवश्यकताओं की आवश्यकता को समझते हुए, सीपीआरआई ने विद्युत क्षेत्र में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। भारतीय विद्युत क्षेत्र के अधिकारियों/वैज्ञानिकों/इंजीनियरों के लिए सतत शिक्षा के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2013 में एक शोध केंद्र की स्थापना की गई , जो जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और सीनियर रिसर्च फेलोशिप (एसआरएफ) पदों की पेशकश करता है जिसके परिणामस्वरूप नियमित योजनाओं के तहत एमएससी (इंजी) तथा इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल और केमिकल इंजीनियरी में पीएचडी (इंजी) और पीएचडी (रसायन विज्ञान) प्राप्त होती है। अनुसंधान केंद्र को विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बेलगाम से मान्यता प्राप्त है और वर्तमान में अड़तालीस शोध विद्वानों के साथ कार्य कर रहे हैं जिनमें से उनतीस जेआरएफ/एसआरएफ के रूप में पंजीकृत हैं, तीन पीएचडी (इंजीनियरीग) के लिए पंजीकृत हैं, बाहरी पंजीकरण के माध्यम से तथा सीपीआरआई के छह अधिकारी अंशकालिक पंजीकरण के माध्यम से एम.एस.सी. (इंजी) / पीएचडी (इंजी) के लिए पंजीकृत हैं। जेआरएफ/एसआरएफ आंतरिक अनुसंधान एवं विकास योजना के तहत सीपीआरआई में चल रही अनुसंधान गतिविधियों में योगदान करते हैं। इस शोध केंद्र के माध्यम से अब तक सत्रह (17) शोध छात्रों ने शोध की डिग्री प्राप्त की। चौदह (14) सीपीआरआई अधिकारी वीटीयू बेलगाम के मान्यता प्राप्त पर्यवेक्षक हैं।

आरटीएमएनयू अनुसंधान केंद्र

ताप अनुसंधान संस्थान (टीआरसी), सीपीआरआई, नागपुर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (आर टी एम एन यू), नागपुर, महाराष्ट्र का एक मान्यता प्राप्त अनुसंधान केंद्र भी है।

 

विज्ञापन संख्या CPRI/R&D/06/2021 -- वरिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति (एसआरएफ) कार्यक्रम। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 19/09/2022 है। वीटीयू, बेलगाम (No.VTU/BGM/Aca/Ph.D/2020-21/669) द्वारा जारी अधिसूचना के मद्देनजर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में SRF के पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों से अनुरोध है कि वे आवेदन की एक अग्रिम प्रति भेजें। ईमेल द्वारा rndatcpri [dot] in पर 12.09.2022 तक नवीनतम।

 

विज्ञापन संख्या सीपीआरआई/आर एंड डी/05/2021 - सीनियर रिसर्च फेलोशिप (एसआरएफ) कार्यक्रम। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 24/06/2022 तक बढ़ा दी गई है।

 

विज्ञापन संख्या सीपीआरआई/आर एंड डी/04/2021 - सीनियर रिसर्च फेलोशिप (एसआरएफ) कार्यक्रम। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 02/06/2022 तक बढ़ा दी गई है।

 

स्नातकोत्तर परियोजना

सीपीआरआई स्नातकोत्तर छात्रों (एमई/एम.टेक/एमएससी (भौतिकी/रसायन विज्ञान)) को सीपीआरआई, बेंगलूरु और इसके अन्य एकक भोपाल, नागपुर, नोएडा, हैदराबाद, कोलकाता और गुवाहाटी में अपने मास्टर पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में सीपीआरआई में परियोजना कार्य करने का अवसर प्रदान करता है। सीपीआरआई में स्नातकोत्तर परियोजना कार्य के लिए योजना का उद्देश्य स्नातकोत्तर छात्रों (एम.ई/एम.टेक/एमएससी) को विद्युत इंजीनियरी के उन्नत क्षेत्रों में काम करने की सुविधा प्रदान करना है। सीपीआरआई के अधिकारियों द्वारा छात्र के संस्थान के गाइड के साथ निकट समन्वय में चयनित छात्रों को परियोजना मार्गदर्शन और सहायता प्रदान की जाएगी।

विज्ञापन संख्या सीपीआरआई/आर एंड डी/स्नातकोत्तर - परियोजना/2022 सीपीआरआई में स्नातकोत्तर छात्रों के लिए परियोजना कार्य।

विज्ञापन संख्या सीपीआरआई/आर एंड डी/स्नातकोत्तर - परियोजनाएं/2023 सीपीआरआई में स्नातकोत्तर छात्रों के लिए परियोजना कार्य।(आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 8-12-2023 तक बढ़ा दी गई है)

शीर्षक संबंधित दस्तावेज
एसआरएफ विज्ञापन - सीपीआरआई/आर एंड डी/06/2022 (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
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एसआरएफ विज्ञापन - सीपीआरआई/आर एंड डी/05/2021 (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
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आवेदन पत्र का प्रारूप (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
एसआरएफ विज्ञापन - सीपीआरआई/आर एंड डी/04/2021 (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
अनुलग्नक-I (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
आवेदन पत्र का प्रारूप (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
स्नातकोत्तर विज्ञापन (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (411 KB & pdf)
अनुलग्नक-I (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (363 KB & pdf)
आवेदन पत्र का प्रारूप (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (239.29 KB & pdf)
स्नातकोत्तर विज्ञापन-2023-24 (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (404.14 KB & pdf)
अनुलग्नक-I (2023-24) (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (457.38 KB & pdf)
आवेदन पत्र का प्रारूप (2023-24) (भाषा: अंग्रेजी) डाउनलोड  (562.99 KB & pdf)